बहुत याद आएंगे ओमप्रकाश आदित्य.....
आठ जून । वक्त...सुबह के नौ बजकर अट्ठावन मिनट... यानी मेरे बिस्तर से उठने का समय। आफिस में इवनिंग शिफ्ट है.. लिहाजा मेरे लिए रात भी देर से होती है और सुबह भी देर से..।
मेरी घड़ी का अलार्म मुझे उठाने वाला ही था कि सहारा समय में कार्यकरत पत्रकार मित्र दिग्विजय चतुर्वेदी का फोन आ गया लेकिन फोन को इग्नोर किया.. चूंकि नींद में था सोचा बाद में बात कर लूंगा। लेकिन दिग्विजय ने बराबर फोन मिलाए रखा... मैंने फोन उठाया.. उसने खबर दी कि ब्रजेश पता चला हास्य सम्राट ओमप्रकाश आदित्य नहीं रहे.. मैं हड़बड़ाहट में उठ पड़ा..मैंने कहा क्या बात करते हो अभी आदित्य जी से तीन दिन पहले ही बात हुई थी पूरी तरह से स्वस्थ थे... मुझे यकीन नहीं हुआ..दिग्विजय ने फिर कहा कि सड़क हादसे में ऐसी अनहोनी हुई... मुझे समझने में देर न लगी.. आदित्य चचा कल तो मध्य प्रदेश के विदिशा के कविसम्मेलन में रहे होंगे.. और आज भोपाल में रहना था.. पर मैंने कहा कि तुम्हें कैसे पता चला.. उसने कहा कि मेरे चैनल की हेडलाइन्स है... यकीन करने लगा... टीवी चालू की तो कभी ना होने वाला विश्वास यकीन में बदल गया..। दिल्ली के ओमप्रकाश आदित्य, बैतूर के नीरज विश्वामित्र पुरी, शाहपुर के लाल सिहं गुर्जर के निधन की खबर कई जगह चल रही थी.. साथ ही उज्जैन के ओम ब्यास, धार के जॉनी बैरागी के गंभीर रूप से घायल होने की भी खबर थी..। इसे दैवयोग ही कहेंगे आज रात दो बजे से तीन बजे तक मैंने यू ट्यूब पर आदित्य जी कविताएं सुनता रहा और फिर सोया.. क्या पता कि सुबह होते ही ऐसी अनहोनी खबर मिलेगी... खबर ज्यादातर अनहोनी होती ही हैं..। फोन उठाया तो देखा कई कवि मित्रों के मैसेज पड़े थे.. सब इसी अनहोनी के। मैंने सबसे पहले सरिता शर्मा को फोन लगाया... जो आदित्य जी के साथ ही विदिशा के कविसम्मेलन गई थी..पर सरिता जी का फोन नहीं लग सका.. फिर एक एक करके सुरेन्द्र शर्मा, डॉक्टर कुमार विश्वास और अरुण जैमिनी को फोन लगाया पर नंबर इनके भी बिजी जा रहे थे...
तब तक राजेश चेतन जी का फोन लग गया.. बात हुई.. घटना कैसे कैसे हुई... उन्होंने वही बताया जो सरिता शर्मा, विनीत चौहान, देवल आशीष,प्रदीप चौबे औऱ अशोक चक्रधर सबको बता रहे थे.. क्यों कि ये कवि भी आदित्य जी की इनोवा गाड़ी के पीछे वाली गाड़ियों से आ रहे थे..।
अब मेरे पास भी उत्तर प्रदेश के कवियों के फोन आने लगे.. बृजेश घटना कैसे कैसे हुई.. अब तक मैं भी घटना की जानकारी देने के बारे में सक्षम हो चुका था..।
मैंने कुछ कवियों को जानकारी देने के बाद अपने सीतापुर स्थित घर पर घटना की जानकारी देना जरूरी समझा.. क्योंकि मेरा पूरा परिवार ओम प्रकाश आदित्य,और ओम ब्यास की कविताओं का बहुत बड़ा प्रशंसक है.. पूरा परिवार स्तब्ध रह गया..। मेरे घर में कविता का माहौल ऐसा है कि मेरा सात साल का भतीजा भी अपनी तोतली आवाज में आदित्य जी के छंद सुनाता है..।
इसी उहापोह में आदित्य जी का पार्थिव शरीर एयरोपर्ट पर आने की खबर मुझे सरिता जी ने अपनी रोती हुई आवाज में दी..। मैं भी अपने एक कवि मित्र अमर आकाश के साथ आदित्य चचा के घर G-9/12 मालवीय नगर के लिए चल दिया... हलांकि आदित्य जी के घर में कई बार जा चुका था.. लेकिन इस बार पैर आगे बढ़ने की बजाय पीछे पड़ रहे थे..।
घर के नजदीक पहुंचा तो देखा कि लोगों का हुजूम.. कुछ टीवी चैनलों के रिपोर्टर...कवियों का जमावड़ा, सबकी आंखे नम.. कुछ के अश्रुपूरित नयन.. कुछ के होने वाले... कुछ की आंखों में तेज धारा..ये सब देखते देखते आदित्य जी के घर के गेट पर पहुंच गये.. सरिता जी को सब घेरे खड़े थे.. दिल्ली में सिर्फ वहीं प्रत्यक्षदर्शी कहीं जा सकती थीं.. मुझे देखते ही उनके आंसू तेज हो गये बोली बृजेश हिंदी जगत का ये नुकसान कभी पूरा ना होगा.. तब तक अंदर से अरुण जैमिनी निकले.. मैंने कहा दादा अब हिंदी मंचों पर हास्य के छंद कौन पढेगा.. बस उनके भी आंसू अनियंत्रित हो गये ... ढाढस बंधाया लेकिन अब तक आंसू मेरे भी बहने लगे.. ऐसा ही हर किसी का वहां हाल था.. सुरेन्द्र शर्मा खुद नम आंखों से सबको शांत करा रहे थे.. मुंबई से आये मशहूर हास्य कवि आसकरण अटल हों या हरिओम पवार या कुंवर बेचैन... सब यही कह रहे थे ये क्या हो गया..। शेरजंग गर्ग, गोविंद ब्यास,डाक्टर कुमार विश्वास, जैमिनी हरियाणवी,महेन्द्र शर्मा, दिनेश रघुवंशी यानी दिल्ली के सभी छोटे बड़े कवि और उनके परिवार आदित्य जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करने पहुंचे हुये थे..। मैं भी घर के अंदर गया और उनके अंतिम दर्शन किये.. परिजनों का भी रो रोकर बुरा हाल था... दिल्ली की मुख्यमंत्री की तरफ से किरण वालिया और रमाकांत गोस्वामी आदित्य जी के परिवार के प्रति संवेदना प्रकट कर रहे थे..। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने भी अपना शोक संदेश भिजवाया..। भला हो मध्य प्रदेश सरकार का और सूबे के मंत्री लक्ष्मीकांत जी का जिन्होंने दो विमानों की तत्काल ब्यवस्था की.. जिससे एक से आदित्य जी का पार्थिव शरीर तुरंत दिल्ली लाया जा सका..और दूसरा नीरजपुरी का परिवार चंडीगढ़ से बैतूर पहुंच सका..।
मुझे पिछले सात सालों से आदित्य जी के सम्पर्क में रहने का सौभाग्य मिल रहा था.. सात साल पहले मैं आदित्य जी से अपने शहर लखनऊ के एक कवि सम्मेलन में मिला था.. इस छोटी सी अवधि में मुझे तमाम बार आदित्य जी के साथ कविसम्मेलनों में कविता पढ़ने का सौभाग्य मिला.. कई घटनाएं उनसे जुड़ी हुई मुझे याद हैं लेकिन एक घटना का जिक्र जरूर करना चाहूंगा..। कुछ महीने पहले प्रगति मैदान में हिंदी अकादमी ने एक कवि सम्मेलन आयोजित करवाया था.. जिसमें सिर्फ पांच कवि थे.. ओमप्रकाश आदित्य, महेन्द्र अजनवी,वेद प्रकाश, पापुलर मेरठी और मैं..। कवि सम्मेलन का संचालन आदित्य जी ने किया। आदित्य जी ने इस छंद को भी सुनाया था.. जिसकी आज यहां हर कोई चर्चा कर रहा था.... वो अपने एक छंद में भगवान से कहा करते थे..
दाल रोटी दी तो दाल रोटी खा के सो गया मैं..आंशू दिये तूने आंसू लिये जा रहा मैं। मृत्यु का बुलावा यदि भेज देगा आजाऊंगा ..तूने कहा जिये जा तो जिये जा रहा मैं..
इस मंच से पहली बार उन्होंने मेरे छंदों को ठीक बताया था..और शाबासी भी दी थी..। शाबासी तो पहले भी मिलती थी लेकिन आज छंदों को ठीक बताना बडी बात थी.. जब ये मैंने बात दिल्ली के कुछ कवि मित्रों को बताई.. भला आदित्य जी की मिली तारीफ को कैसे छिपा सकता था.. कवि मित्रों का जवाब था कि आदित्य जी किसी की कविता को जल्दी अच्छा कहते नहीं हैं..अगर उन्होंने छंदों की तारीफ की है तो आपके हास्य के छंद भी काबिले तारीफ रहें होंगे..।
आठ जून को आदित्य जी हम सबसे हमेशा के लिए दूर हो गये.. लेकिन उनकी कविताएं हमेशा जिंदा रहेंगी..ईश्वर करे कि आदित्य जी, नीरजपुरी और लाल सिंह की आत्मा को शांति मिले..। भगवान ओम ब्यास और जानी बैरागी को पूर्ण स्वस्थ कर नया जीवन प्रदान करे..।
हास्य के अप्रतिम रचनाकार थे पंडित ओम प्रकाश आदित्य.. हास्य के छंदों में उनका कोई जोड़ नहीं था... लगता नहीं था कि वे अभी छोड़कर चले जाएंगे.. लेकिन चले गये... वो भी हमेशा के लिए...
आठ जून हिंदी जगत के लिए मनहूस दिन साबित हुआ तीन कवियों का एक साथ जाना और हिंदी के प्रख्यात नाटककार हबीब तनवीर का जाना.. हिंदी रंगमंच हबीब साहब को भी हमेशा नमन करेगा.. मेरा भी नमन... आप भी दे सकते हैं अपनी भावांजलि...
Tuesday, June 9, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
5 comments:
श्री ओमप्रकाश आदित्य का अत्यंत असंभावित और आकस्मिक परिस्तिथियों में निधन सम्पूर्ण कवि समाज एव्म देश के लिए एक बहुत बड़ी kshati है. उनकी saralta और saadgi bhare chhand deshvashiyon को हमेशा उनकी याद dilate rahenge. श्री ओमप्रकाश आदित्य yuva kaviyon के लिए हमेशा एक prernashrot रहे. मैं दर्द bhare दिल से उनको shradhanjali देता हूँ.
इधर भी गधे हैं, उधर भी गधे हैं
जिधर देखता हूं, गधे ही गधे हैं
गधे हँस रहे, आदमी रो रहा है
हिन्दोस्तां में ये क्या हो रहा है
जवानी का आलम गधों के लिये है
रसिया, ये बालम गधों के लिये है
ये दिल्ली, ये पालम गधों के लिये है
संसार सालम गधों के लिये है
बहुत याद आएंगे
wakai 8 june hindi jagat..hindi shahitya aur hindi kawita ke lie manhus din sabit hua...kyonki 8 june 2009 ne hindi ke tin purodhaon ko humse chhin liya...rahi aapki ashuon i bat..to unaka bahna lajmi hai..aap ne ek guru..abhibhavak aur dost ko khoya hai...aap ne unse bahut kuch sikha hai...aur aage bhi iski ummid thi...aapki juban se maine bhi unaki kai kavitaon aur chandon ko suna hai...jab unaki kavitain logo ko itani romanchit karane wali hoti thi..to main samajh sakata hun ki wo kitana diler honge...meri taraph se bhi unako bhavbhini shraddhanjali...log unhe hamesha yad rakhenge....
muje to aapne hi bataya... anartha...
baHUT MAMrmik warnan hai... achchha laga jaankar ki main ek kabil or bade kavi ke sath kaam karta hoon.
rajan
Post a Comment