Tuesday, February 17, 2009

प्रवासी साहित्यकार रेणु राजवंशी गुप्ता का अभिनंदन एवं काव्यगोष्ठी-------------------------------------
दिल्ली के हिंदी भवन में प्रवासी साहित्यकार रेणु राजवंशी गुप्ता के सम्मान में एक विशिष्ठ साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया..। कार्यक्रम में अमेरिका से पधारी साहित्यकार श्रीमती रेनू राजवंशी गुप्ता का अभिनंदन और उनके सम्मान में एक भव्य काव्य गोष्ठी आयोजित हुई..। वरिष्ठ साहित्यकार डॉक्टर नरेन्द्र कोहली और डॉक्टर कमल किशोर गोयनका के सानिध्य में शुरु हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता जाने-माने कवि कृष्ण मित्र ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रवासी साहित्यकार श्रीमती रेणु राजवंशी गुप्ता के अभिनंदन से हुआ । साहित्यकार डॉक्टर नरेन्द्र कोहली ने वाग्देवी की प्रतिमा और शॉल उढाकर सम्मानित किया जबकि डॉक्टर गोविंद व्यास ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया..वहीं मशहूर नाटककार डीपी सिन्हा और महेश चन्द्र शर्मा ने पुष्प भेंटकर रेणुजी का अभिनंदन किया..। डॉक्टर नरेन्द्र कोहली ने रेणु राजवंशी की रचनाओं की विस्तार से चर्चा की और उनकी साहित्यिक रचनाओं की सराहना भी की..वहीं डॉ गोविंद व्यास ने रेणु राजवंशी के कृतत्व पर प्रकाश डाला।
श्रीमती रेणु राजवंशी गुप्ता के अभिनंदन के बाद ओज के लोकप्रिय कवि गजेन्द्र सोलंकी के संचालन में सरस काव्य गोष्ठी हुई.. जिसमें दूर-दूर से आये हुए कवियों ने शिरकत की । कवि गोष्टी की शुरुआत वरिष्ठ गीतकार राजगोपाल सिंह की वाणी वंदना से हुई। इसके बाद प्रवासी साहित्यकार रेनू राजवंशी को काब्य प्रेमियों ने जमकर सुना..। उन्होंने अपनी कई रचनाएं सुनाई और अमेरिका में हिंदी भाषा के उत्थान में किये जा रहे कार्यों की चर्चा भी की । इसके बाद युवा कवि नील की कविता- लगता है हम बड़े हो गये हैं.. स्रोताओं ने काफी सराही..।
इसके बाद बलजीत तन्हा ने अपनी कई हास्य की कविताएं सुनायी। इसके बाद कवियत्री प्रीति विश्वास की- हिंदुस्थान हमारा है कविता को लोगों ने खूब वाहवाही दी..। कविगोष्ठी को एक नयी ऊंचाई दी प्रख्यात हास्य कवि अरुण जैमिनी । उन्होंने एक के बाद एक कई रचनाएं सुनायीं..। इसके बाद गौतमबुद्ध नगर से पधारे ओज कवि अली हसन मकरैंडिया ने कई छंद सुनाए.। टीवी पत्रकार और हास्य कवि बृजेश द्विवेदी ने मां पर लिखी कविता को सुनाकर काब्यप्रेमियों की प्रशंसा बटोरी.. छोटी बात को लेकर यहां मचले हुए हो तुम। बड़े अच्छे हुआ करते थे अब बदले हुए हो तुम।बाहर लौटकर आया तो मोटा हो गया था मैं.।अम्मा ने कहा बेटा बड़े दुबले हुए हो तुम ।।
इसके बाद लोकप्रिय कवियत्री सरिता शर्मा ने अपने छंदों, गीतों और मुक्तकों से उपस्थित जनसमुदाय का दिल जीत लिया..उनका ये मुक्तक काफी सराहा गया
चाहे दुनिया से दूर हो जाऊं।तेरी आंखों का नूर हो जाऊं। तेरी राधा बनूं या न बनूं,तेरी मीरा जरूर हो जाऊं।।
चर्चित हास्य कवि यूसुफ भारद्वाज ने जब अपनी चिरपरिचित अंदाज में कविताएं सुनायी तो ठहाकों से हॉल गूंज पड़ा..। गाजियाबाद से पधारी कवियत्री अंजू जैन ने अपनी कई गजलों को सुनाया। इसके बाद डॉक्टर टीएस दराल की इस कविता को खूब दाद मिली.
नये साल में खुशी के गुब्बारें हों। चारो ओर हंसी के फव्वारे हो । न सीमा पर कोई विवाद हो, और न मुंबई सा आतंकवाद हो।।
कविगोष्ठी को संचालन कर रहे हिंदी मंचों के लोकप्रिय कवि गजेन्द्र सोलंकी अपनी विशिष्ठ शैली के छंदों को सुनाकर कार्यक्रम में शमां बांध दिया..। काब्य प्रेमियों की मांग पर उन्होंने चर्चित अप्रवासी गीत- चंदन सी महक पसीने में- सुनायी.. तो स्रोताओं ने तालियों की धुन से पूरे गीत में साथ दिया..। बर्किंम से पधारे साहित्यकार डॉक्टर कृष्ण कुमार ने भी अपनी रचनाओं का पाठ किया..।
काब्य गोष्ठी में डॉक्टर गोविंद व्यास,रितु गोयल,रमा सिंह,बागी चाचा,शंभु शिखर,रसिक गुप्ता,अमर आकाश इत्यादि कवियों ने काव्य पाठ किया..अंत में अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि कृष्ण मित्र ने अपनी देश प्रेम की कई कविताएं सुनायी। कार्यक्रम का आयोजन साहित्यिक संस्था शब्दांचल, दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन और दिशा फाउण्डेशन के सहयोग से किया गया..। इस मौके पर महेश चंद्र शर्मा ने आये हुए अतिथियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में वीरेद्र मेहता, आरपी बंसल, अतुल जैन, चौधरी बाल किशन और विजय शर्मा विशेष रूप से मौजूद रहे।

काब्य गोष्टी

प्रवासी साहित्यकार रेणु राजवंशी गुप्ता का अभिनंदन एवं काव्यगोष्ठी-------------------------------------
दिल्ली के हिंदी भवन में प्रवासी साहित्यकार रेणु राजवंशी गुप्ता के सम्मान में एक विशिष्ठ साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया..। कार्यक्रम में अमेरिका से पधारी साहित्यकार श्रीमती रेनू राजवंशी गुप्ता का अभिनंदन और उनके सम्मान में एक भव्य काव्य गोष्ठी आयोजित हुई..। वरिष्ठ साहित्यकार डॉक्टर नरेन्द्र कोहली और डॉक्टर कमल किशोर गोयनका के सानिध्य में शुरु हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता जाने-माने कवि कृष्ण मित्र ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रवासी साहित्यकार श्रीमती रेणु राजवंशी गुप्ता के अभिनंदन से हुआ । साहित्यकार डॉक्टर नरेन्द्र कोहली ने वाग्देवी की प्रतिमा और शॉल उढाकर सम्मानित किया जबकि डॉक्टर गोविंद व्यास ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया..वहीं मशहूर नाटककार डीपी सिन्हा और महेश चन्द्र शर्मा ने पुष्प भेंटकर रेणुजी का अभिनंदन किया..। डॉक्टर नरेन्द्र कोहली ने रेणु राजवंशी की रचनाओं की विस्तार से चर्चा की और उनकी साहित्यिक रचनाओं की सराहना भी की..वहीं डॉ गोविंद व्यास ने रेणु राजवंशी के कृतत्व पर प्रकाश डाला।
श्रीमती रेणु राजवंशी गुप्ता के अभिनंदन के बाद ओज के लोकप्रिय कवि गजेन्द्र सोलंकी के संचालन में सरस काव्य गोष्ठी हुई.. जिसमें दूर-दूर से आये हुए कवियों ने शिरकत की । कवि गोष्टी की शुरुआत वरिष्ठ गीतकार राजगोपाल सिंह की वाणी वंदना से हुई। इसके बाद प्रवासी साहित्यकार रेनू राजवंशी को काब्य प्रेमियों ने जमकर सुना..। उन्होंने अपनी कई रचनाएं सुनाई और अमेरिका में हिंदी भाषा के उत्थान में किये जा रहे कार्यों की चर्चा भी की । इसके बाद युवा कवि नील की कविता- लगता है हम बड़े हो गये हैं.. स्रोताओं ने काफी सराही..।
इसके बाद बलजीत तन्हा ने अपनी कई हास्य की कविताएं सुनायी। इसके बाद कवियत्री प्रीति विश्वास की- हिंदुस्थान हमारा है कविता को लोगों ने खूब वाहवाही दी..। कविगोष्ठी को एक नयी ऊंचाई दी प्रख्यात हास्य कवि अरुण जैमिनी । उन्होंने एक के बाद एक कई रचनाएं सुनायीं..। इसके बाद गौतमबुद्ध नगर से पधारे ओज कवि अली हसन मकरैंडिया ने कई छंद सुनाए.। टीवी पत्रकार और हास्य कवि बृजेश द्विवेदी ने मां पर लिखी कविता को सुनाकर काब्यप्रेमियों की प्रशंसा बटोरी.. छोटी बात को लेकर यहां मचले हुए हो तुम। बड़े अच्छे हुआ करते थे अब बदले हुए हो तुम।बाहर लौटकर आया तो मोटा हो गया था मैं.।अम्मा ने कहा बेटा बड़े दुबले हुए हो तुम ।।
इसके बाद लोकप्रिय कवियत्री सरिता शर्मा ने अपने छंदों, गीतों और मुक्तकों से उपस्थित जनसमुदाय का दिल जीत लिया..उनका ये मुक्तक काफी सराहा गया
चाहे दुनिया से दूर हो जाऊं।तेरी आंखों का नूर हो जाऊं। तेरी राधा बनूं या न बनूं,तेरी मीरा जरूर हो जाऊं।।
चर्चित हास्य कवि यूसुफ भारद्वाज ने जब अपनी चिरपरिचित अंदाज में कविताएं सुनायी तो ठहाकों से हॉल गूंज पड़ा..। गाजियाबाद से पधारी कवियत्री अंजू जैन ने अपनी कई गजलों को सुनाया। इसके बाद डॉक्टर टीएस दराल की इस कविता को खूब दाद मिली.
नये साल में खुशी के गुब्बारें हों। चारो ओर हंसी के फव्वारे हो । न सीमा पर कोई विवाद हो, और न मुंबई सा आतंकवाद हो।।
कविगोष्ठी को संचालन कर रहे हिंदी मंचों के लोकप्रिय कवि गजेन्द्र सोलंकी अपनी विशिष्ठ शैली के छंदों को सुनाकर कार्यक्रम में शमां बांध दिया..। काब्य प्रेमियों की मांग पर उन्होंने चर्चित अप्रवासी गीत- चंदन सी महक पसीने में- सुनायी.. तो स्रोताओं ने तालियों की धुन से पूरे गीत में साथ दिया..। बर्किंम से पधारे साहित्यकार डॉक्टर कृष्ण कुमार ने भी अपनी रचनाओं का पाठ किया..।
काब्य गोष्ठी में डॉक्टर गोविंद व्यास,रितु गोयल,रमा सिंह,बागी चाचा,शंभु शिखर,रसिक गुप्ता,अमर आकाश इत्यादि कवियों ने काव्य पाठ किया..अंत में अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि कृष्ण मित्र ने अपनी देश प्रेम की कई कविताएं सुनायी। कार्यक्रम का आयोजन साहित्यिक संस्था शब्दांचल, दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन और दिशा फाउण्डेशन के सहयोग से किया गया..। इस मौके पर महेश चंद्र शर्मा ने आये हुए अतिथियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में वीरेद्र मेहता, आरपी बंसल, अतुल जैन, चौधरी बाल किशन और विजय शर्मा विशेष रूप से मौजूद रहे।

Wednesday, February 4, 2009

कवि संगम रिपोर्ट

कवि संगम रिपोर्ट------------
राष्टीय कवि संगम की ओर से दिल्ली हरियाणा प्रांत सम्मेलन टेक्निया इंस्टीट्यूट के सभागार में आयोजित किया गया..। कार्यक्रम में दिल्ली और हरियाणा के एक सौ पचास कवियों ने हिस्सा लिया । कार्यक्रम के उदघाटन सत्र का विषय था- वर्तमान चुनौतियां और कविधर्म। सत्र के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डाक्टर नरेन्द्र कोहली थे जबकि अध्यक्षता प्रसिद्ध अप्रवासी साहित्यकार डाक्टर कृष्ण कुमार ने की । अपने संबोधन में डाक्टर नरेन्द्र कोहली ने कविता और कवि धर्म की मार्मिक ब्याख्या की..। उन्होंने कहा कि कविता का लोक कल्याणकारी होना परम आवश्यक है। नरेन्द्र कोहली ने कवियों को आगाह करते हुए कहा कि आप की कविता में सामाजिक सरोकार होने चाहिए.। यूके बर्घिंम से पधारे साहित्याकर डाक्टर कृष्ण कुमार ने कहा कि कवियों को चुटकलों से दूर रहकर स्तरीय कविता लिखनी चाहिए। कवि संगम के संयोजक जगदीश मित्तल ने युवा कवियों को कुछ कर गुजरने की प्रेरणा देते हुए कहा-
कुछ चलते पगचिन्हों पर कुछ पग चिन्ह बनाते हैं..। पग चिन्ह बनाने वाले ही दुनिया में पूजे जाते हैं...।। उदघाटन सत्र का संचालन लोकप्रिय कवि राजेश चेतन और धन्यवाद रोशन कंसल ने दिया। कवि संगम का दूसरा सत्र काब्य शिखरों से संवाद काफी सराहनीय रहा..। काब्य शिखरों के संवाद में वरिष्ठ हास्य कवि प्रताप फौजदार, अलवर राजस्थान से बलवीर सिंह करुण, वरिष्ठ गीतकार राजगोपाल सिंह ने शिरकत की। जबकि सत्र की अध्यक्षता हरियाणा के राज्य कवि उदय भानु हंस ने की..। काब्य शिखरों से संवाद सत्र में युवा कवियों ने अपने वरिष्ठ कवियों से संवाद किया। वरिष्ठ कवियों ने अपने साहित्यिक यात्रा से बखूबी अवगत कराया। तीसरे सत्र में हुए कवि सम्मेलन की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि कृष्ण मित्र ने की। कविसम्लेन में विनय शुक्ल विनम्र की पंक्तियों को खूब लोगों ने सराहा-
संधान सर सुमन का, रतिराज ने जगाया।
उत्सव मनाने उपवन पक्षी समाज आया।
कलियां भी खिल उठी हैं,भौरे भी गुनगुनाएं,
ले प्यार का संदेशा रितुराज आज आया ।।
इसके बाद डाक्टर टीएस दराल ने कविता सुनायी
नये साल में खुशी के फव्वारे हों।नये साल में हंसी के गुब्बारे हों।न सीमा पर विवाद हो और,न मुंबई सा आतंकवाद हो..।।
इसके बाद आये कवि अमर आकाश ने अपनी राष्टवादी कविता सुनायी..
इक दिन भारत फिर से सोने की चिडिया कहलायेगा।
अपनी खोई गरिमा को फिर से वापस पा जायेगा।।
बाद अली हसन मकरैंडिया ने कई प्रेरक छंदों से सभागार में बैठे सभी लोगों का मन मोह लिया। लोगों की मांग पर प्रताप फौजदार ने अपनी मशहूर कविता -तिरंगा सुनायी..। फौजदार की तिरंगा कविता पर लोग झूमते नजर आये.। अध्यक्षता कर रहे कृष्ण मित्र ने - क्या कहता कवि धर्म तुम्हारा, रचना सुनायी। कविसम्मेलन में बबिता अग्रवाल, स्पर्श जैन, बलजीत तन्हा, अमित सागर, राजेन्द्र चंचल,प्रीति विश्वास आदि कवियों ने अपनी रचनाएं सुनायी..। कविसम्मेलन का संचालन प्रोफेसर अशोक बत्रा ने किया।
कविसम्लेन के आखिर में सम्मान सत्र का आयोजित हुआ। सम्मान सत्र के मुख्य अतिथि वीर चक्र से सम्मानित कर्नल तेजेन्द्र पाल त्यागी और विशिष्ट अतिथि अग्रवाल पैकर्स मूवर्स के रमेश अग्रवाल थे..। इस सत्र में टेकनिया इंस्टीट्यूट के चेयरमैन राम कैलाश गुप्ता,नारायण सेवा संस्थान के डायरेक्टर सत्यनारायण जैन राधेश्याम गोयल,अनिल बंसल, और मनमोहन गुप्ता को सम्मानित किया गया। राष्टीय कवि संगम के मुख्य संयोजक जगदीश मित्तल ने राष्ट नव निर्माण में कवियों के जुटने का आह्ववान किया..। उन्होंने कहा कवियों ने हमेशा ही समाज को एक नयी दिशा दी है और आज भी कवि अपनी स्तरीय रचना देकर समाज को लाभान्वित करता है..। सम्मान सत्र का संचालन दिल्ली प्रांत के संयोजक रोशन कंसल ने किया..। समाज सेवी स्वदेश जैन ने आये हुए अतिथियों का आभार ब्यक्त किया।

कवि संगम रिपोर्ट

कवि संगम रिपोर्ट------------राष्टीय कवि संगम की ओर से दिल्ली हरियाणा प्रांत सम्मेलन टेक्निया इंस्टीट्यूट के सभागार में आयोजित किया गया..। कार्यक्रम में दिल्ली और हरियाणा के एक सौ पचास कवियों ने हिस्सा लिया । कार्यक्रम के उदघाटन सत्र का विषय था- वर्तमान चुनौतियां और कविधर्म। सत्र के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डाक्टर नरेन्द्र कोहली थे जबकि अध्यक्षता प्रसिद्ध अप्रवासी साहित्यकार डाक्टर कृष्ण कुमार ने की । अपने संबोधन में डाक्टर नरेन्द्र कोहली ने कविता और कवि धर्म की मार्मिक ब्याख्या की..। उन्होंने कहा कि कविता का लोक कल्याणकारी होना परम आवश्यक है। नरेन्द्र कोहली ने कवियों को आगाह करते हुए कहा कि आप की कविता में सामाजिक सरोकार होने चाहिए.। यूके बर्घिंम से पधारे साहित्याकर डाक्टर कृष्ण कुमार ने कहा कि कवियों को चुटकलों से दूर रहकर स्तरीय कविता लिखनी चाहिए। कवि संगम के संयोजक जगदीश मित्तल ने युवा कवियों को कुछ कर गुजरने की प्रेरणा देते हुए कहा- कुछ चलते पगचिन्हों पर कुछ पग चिन्ह बनाते हैं..। पग चिन्ह बनाने वाले ही दुनिया में पूजे जाते हैं...।। उदघाटन सत्र का संचालन लोकप्रिय कवि राजेश चेतन और धन्यवाद रोशन कंसल ने दिया। कवि संगम का दूसरा सत्र काब्य शिखरों से संवाद काफी सराहनीय रहा..। काब्य शिखरों के संवाद में वरिष्ठ हास्य कवि प्रताप फौजदार, अलवर राजस्थान से बलवीर सिंह करुण, वरिष्ठ गीतकार राजगोपाल सिंह ने शिरकत की। जबकि सत्र की अध्यक्षता हरियाणा के राज्य कवि उदय भानु हंस ने की..। काब्य शिखरों से संवाद सत्र में युवा कवियों ने अपने वरिष्ठ कवियों से संवाद किया। वरिष्ठ कवियों ने अपने साहित्यिक यात्रा से बखूबी अवगत कराया। तीसरे सत्र में हुए कवि सम्मेलन की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि कृष्ण मित्र ने की। कविसम्लेन में विनय शुक्ल विनम्र की पंक्तियों को खूब लोगों ने सराहा-संधान सर सुमन का, रतिराज ने जगाया।उत्सव मनाने उपवन पक्षी समाज आया।कलियां भी खिल उठी हैं,भौरे भी गुनगुनाएं,ले प्यार का संदेशा रितुराज आज आया ।। इसके बाद डाक्टर टीएस दराल ने कविता सुनायीनये साल में खुशी के फव्वारे हों।नये साल में हंसी के गुब्बारे हों।न सीमा पर विवाद हो और,न मुंबई सा आतंकवाद हो..।।इसके बाद आये कवि अमर आकाश ने अपनी राष्टवादी कविता सुनायी..इक दिन भारत फिर से सोने की चिडिया कहलायेगा।अपनी खोई गरिमा को फिर से वापस पा जायेगा।।इसके बाद अली हसन मकरैंडिया ने कई प्रेरक छंदों से सभागार में बैठे सभी लोगों का मन मोह लिया। लोगों की मांग पर प्रताप फौजदार ने अपनी मशहूर कविता -तिरंगा सुनायी..। फौजदार की तिरंगा कविता पर लोग झूमते नजर आये.। अध्यक्षता कर रहे कृष्ण मित्र ने - क्या कहता कवि धर्म तुम्हारा, रचना सुनायी। कविसम्मेलन में बबिता अग्रवाल, स्पर्श जैन, बलजीत तन्हा, अमित सागर, राजेन्द्र चंचल,प्रीति विश्वास आदि कवियों ने अपनी रचनाएं सुनायी..। कविसम्मेलन का संचालन प्रोफेसर अशोक बत्रा ने किया।
कविसम्लेन के आखिर में सम्मान सत्र का आयोजित हुआ। सम्मान सत्र के मुख्य अतिथि वीर चक्र से सम्मानित कर्नल तेजेन्द्र पाल त्यागी और विशिष्ट अतिथि अग्रवाल पैकर्स मूवर्स के रमेश अग्रवाल थे॥। इस सत्र में टेकनिया इंस्टीट्यूट के चेयरमैन राम कैलाश गुप्ता,नारायण सेवा संस्थान के डायरेक्टर सत्यनारायण जैन राधेश्याम गोयल,अनिल बंसल, और मनमोहन गुप्ता को सम्मानित किया गया। राष्टीय कवि संगम के मुख्य संयोजक जगदीश मित्तल ने राष्ट नव निर्माण में कवियों के जुटने का आह्ववान किया..। उन्होंने कहा कवियों ने हमेशा ही समाज को एक नयी दिशा दी है और आज भी कवि अपनी स्तरीय रचना देकर समाज को लाभान्वित करता है..। सम्मान सत्र का संचालन दिल्ली प्रांत के संयोजक रोशन कंसल ने किया..। समाज सेवी स्वदेश जैन ने आये हुए अतिथियों का आभार ब्यक्त किया।